भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच राजकोट में खेले गए तीसरे एकदिवसीय मैच के साथ ही विश्व कप से पहले भारत के आखिरी एक दिवसीय सीरीज का भी समापन हो गया। और अब तक शायद भारतीय टीम प्रबन्धकों के लिए यह स्पष्ट हो गया होगा कि विश्व कप के लिए टीम का संतुलन किस प्रकार बनाए रखना है।
रोहित शर्मा की कप्तानी में टीम इंडिया कागज पर तो निश्चित रूप से काफी मजबूत नजर आ रही है। टीम में बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों ही विभाग में हर रोल के लिए दमदार खिलाड़ी अपनी अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। राहुल द्रविड़ की अगुवाई में भारतीय टीम प्रबंधन केएल राहुल और कुलदीप यादव जैसे खिलाड़ियों की टीम में जरूरत को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त हैं।
पिछले कुछ समय से राहुल द्रविड़ ने टीम के अंतिम 15 की सूची को सुनिश्चित करने के लिए लगातार टीम कॉम्बिनेशन में लगातार बदलाव लाते रहे। और शायद इसीलिए मीडिया वर्ग और प्रसंशक संशय में हैं। विशेषकर से इसलिए कि टीम के हर खिलाड़ी ने मौका मिलने पर अपनी काबिलियत दिखाई है। बल्लेबाजी में रोहित और शुभमन गिल की जोड़ी विश्व कप में सलामी बल्लेबाज के रूप में अपना स्थान पक्का कर चुके हैं। विराट कोहली के no.3 पर भी कोई संदेह नही है। लेकिन इसके बाद के सभी स्थान पर अभी भी स्पष्टता नही है। शायद इसलिए कि टीम प्रबंधन चाहते नही हैं। वरना विश्व कप से ठीक पहले तक टीम कॉम्बिनेशन में बदलाव का कोई कारण दिख तो नही रहा।
पिछले 2 विश्व कप में भारत की असफलता का एक बहुत बड़ा कारण था टीम के बल्लेबाजी क्रम का सही समय पर असफल हो जाना। और शायद इसीलिए भारतीय टीम प्रबंधन बल्लेबाजी क्रम के प्रति पहले से ही सजग है। आईसीसी नॉकआउट में मिली बड़ी हार से यह तो स्पष्ट था कि भारतीय बल्लेबाजों के पीछे विपक्षी गेंदबाज की तैयारी काफी मजबूत है। एक एक बल्लेबाज की हर कमजोरी और हर ताकत का तोड़ निकाल कर ही विपक्षी गेंदबाज मैदान में उतरते थे। और नतीजा सामने था, सितारों से सजी भारतीय बल्लेबाजी क्रम कुछ बड़े अवसरों पर ताश के पत्तों की तरह ढह जाती थी।
द्रविड़ की तैयारी में यह अनिश्चितता लंबे समय से दिख रहा है। उन्हें पता है कि किस खिलाड़ी को वर्ल्ड कप खेलना है और यह भरोसा उस खिलाड़ी के आत्मविश्वास में साफ साफ दिखता भी है। चाहे केएल राहुल हो या आर अश्विन या सूर्यकुमार या फिर ईशान किशन, किसी भी खिलाड़ी के प्रदर्शन में यह नहीं दिखता है कि वह टीम में अपने स्थान के प्रति संदेह की स्तिथि में है। श्रेयस अय्यर, सूर्यकुमार यादव, और केएल राहुल मध्य क्रम की बागडोर संभाल रहे हैं। लेकिन ये तीनों साथ में न खेल पाएंगे लेकिन टीम की जरूरत के हिसाब से निश्चित रूप से सभी को मौका मिलेगा। पाण्ड्या और जडेजा के रूप में भारत के पास दो विश्वस्तरीय हरफनमौला हैं। गेंदबाजी क्रम निश्चित रूप से भारत की अब तक की सबसे बेहतरीन गेंदबाजी क्रम बनने वाली है। बूमराह की वापसी, सामी की गति और सिराज की दिल दहलाने वाली स्विंग किसी भी टीम का मनोबल तोड़ सकते हैं।
पिछले कुछ महीने में भारतीय गेंदबाजी ने एक अलग ही रफ्तार पकड़ी है। सटीक लाइन-लेंथ और मारक गति से ये गेंदबाज किसी भी बल्लेबाज़ी क्रम की धज्जी उड़ाने में सक्षम हैं। एक-एक गेंदबाज की अपनी अलग पहचान है और इसीलिए वे विपक्षी बल्लेबाजों के लिए अधिक घातक बन जाते हैं। 2019 के मुक़ाबले यह टीम बल्लेबाज़ी और गेंदबाजी दोनों में अधिक सुगठित और संगठित नजर आ रही है लेकिन ये तो सब जानते हैं कि क्रिकेट अनिश्चिताओं का खेल है। भले ही कोई टीम कागज़ पर कितनी भी मजबूत नजर आए, असली मुकाबला खेल के मैदान में होता है। और इसलिए भारतीय क्रिकेट टीम के सभी खिलाड़ियों को विश्व कप के लिए शुभकामनायें।