चोरी

“श्याम, जल्दी से उठ जाओ, स्कूल नही जाना है क्या”, माँ ने उसे झकझोरते हुए कहा। श्याम हिला तक नही। माँ ने फिर से उसे उठाने का प्रयास किया। गाड़ी का आने में सिर्फ 15 मिनट बचा था। और श्याम अभी तक सो रहा था। यह उसकी रोज की आदत थी। कभी कभी तो वह सिर्फ देर से उठने के कारण गाड़ी छूट भी जाती थी। माँ ने फिर से आवाज लगाई लेकिन श्याम नही उठा।

तभी गैस पर कुकर की सिटी ज़ोर से चिल्लाई। माँ श्याम को सोता छोड़ कुकर बंद करने गई। माँ ने दाल उतारा और एक बार फिर ज़ोर से आवाज लगाया। श्याम उनके सामने दरवाजे पर खड़ा था।

“मैं तबसे तुझे उठा रही थी। फिर तू एकाएक कैसे उठ गया?”

श्याम ने कुछ नही कहा, सिर्फ एक ग्लास पानी माँगा।  माँ ने उसे पानी दिया। श्याम ने एक साँस में पूरी ग्लास खाली कर दी। ग्लास रखते हुए श्याम ने घड़ी की ओर देखा। गाड़ी के आने में अभी भी 10 मिनट बचा था। वह दौड़ कर अपना स्कूल-बैग पैक किया। वह बार बार घड़ी के ओर देख रहा था। तब तक माँ टिफिन ले कर आई।

“पापा की दवाई कल ही खत्म हो गया है, आते समय ले लेना”। श्याम ने बस अपना सर हिलाया और तेजी से घर से निकल गया। वह अपने ही धुन में चला जा रहा था। स्कूल की गाड़ी उसके घर से थोड़ी दूर, गली के बाहर रुकती थी और उसे लगभग 2-3 मिनट पैदल ही जाना पड़ता था। जैसे ही वह गली से बाहर निकला, गाड़ी भी आ गयी। वह अपनी सीट पर बैठ गया।

बस में अजीब सा सन्नाटा था। मुश्किल से चार पाँच बच्चे बैठे थे। लेकिन श्याम का मन अपने ही विचारों में खोया था। पापा के लिए दवाई भी लेना है, छोटे भाई की स्कूल फीस भी भरना है। घर का राशन भी खत्म हो गया है। आज तो वह अपने दुकान के मालिक से पैसे लेकर रहेगा। पिछले 2 महीने से आधा आधा दे रहा है। तभी अचानक उसे कुछ याद आया। उसने अपना मोबाइल निकाला, देखा तो स्विच ऑफ है। रात चार्ज में लगाना भूल गया। रात दुकान से आने में देर हो गया था। पूरा खाया भी नहीं और थक के तुरंत सो गया।

“अगर दुकान के मालिक ने पैसा नहीं दिया तो इस बार पक्का काम छोड़ दूँगा। उस मॉल में पंद्रह सौ रुपये  अधिक मिल रहा है लेकिन वह घर से काफी दूर शहर में है, लगभग 40 मिनट बस से लगता है। शाम की कोचिंग क्लास छूट जाएगी। राहुल अच्छा दोस्त है,रविवार को उसके घर जा कर मैथ्स पढ़ लूँगा। मॉल में पैसे भी अधिक मिलता है और महीने-महीने समय से मिल भी जाता है”। श्याम भले ही गाड़ी में चुपचाप बैठा था लेकिन उसका मन पूरी तरह से अशांत था। वह पूरे रास्ते अपने मन में कुछ ना कुछ सोचता रहा। तभी गाड़ी अचानक गाड़ी रुकी। वह स्कूल पहुँच गया। गाड़ी पूरी भरी थी। उसे पता भी नहीं चला कब गाड़ी बच्चों से भर गया। वह भरी कदमों से उतरा और सीधे अपनी क्लास में गया। वह नवीं कक्षा में पढ़ता था।

क्लास में पहुँचा ही था कि तभी राहुल दौड़ता हुआ उसके पीछे आया। “मुझे लगा, तू आज नही आएगा”।

“क्यों, आज तेरी शादी होने वाली है! श्याम ने हँसने का प्रयास किया लेकिन राहुल के चहरे की गंभीरता को देख उसने अपने आप को रोका।

“अरे, तेरे मालिक के दुकान में चोरी हो गया कल रात, मैंने तुझे कितनी बार फोन किया लेकिन तेरा मोबाइल स्विच ऑफ बता रहा था”।

श्याम के चेहरे का रंग ही मानो उतार गया।

“मालिक ने आज शाम पैसे देने की बात कही थी, और अभी खुद हॉस्पिटल में भर्ती है। बेचारा बुड्ढा, इस बार नही बचेगा”। राहुल की आंखे चमक उठी।

लेकिन श्याम के नीचे से जैसे जमीन खिसक गया। अब उसके पैसे कौन देगा। बिना पैसे के वह दवा कैसे लाएगा। भाई की फीस कैसे भरेगा। मुश्किल से चार-पाँच सौ रुपये बचे हैं पिछले महीने की आधी मिली तंख्वाह से। अचानक जैसे उसके मन में कुछ बिजली सा कौंधा।

“तू रुक स्कूल में, मैं बाज़ार जा रहा हूँ, मॉल में मैनेजर से बात करने, अगर जॉब पक्का हो ज्ञ तो कुछ एडवांस माँग लूँगा”। इतना कह उसने बैग उठाया और बिना कुछ सोचे समझे तेजी से क्लास से बाहर भागा।

“अरे मैंने अभी तुरंत मैनेजर से बात किया था”।

राहुल ने ज़ोर से चिल्ला कर कहा। श्याम गिरते गिरते बचा। वह रुका और दौड़ के फिर वापिस आया। श्याम की आँखों में एक अजीब सी उम्मीद थी। उसके चेहरे की हवाइयाँ उड़ रही थी लेकिन वह एकटक राहुल को देखा जा रहा था।

“मैनेजर ने मना कर दिया, बोला अभी मंदी चल रहा है मार्केट में, एक दो महीने बाद फोन करना। और उसने फोन काट दिया”।

श्याम ने चुपचाप अपनी गीली हो रही आँखों धीरे से को झुका लिया।

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