भारत में पिछले महीने प्रारंभ हुआ 2024 लोक सभा के चुनाव का चार चरण पूरा हो चुका है। समस्त भारत चुनाव के माहौल में रंग चुका है। आज दिनाँक 13-05-2024 को बेगुसराय में भी वोट डाले गए। शायद आचार संहिता ने रंग में भंग डाल दिया है। यह चुनाव भारतीय लोकतंत्र का सबसे बड़ा त्योहार है जो पाँच वर्ष में एक बार आता है। लेकिन नए नियम-कानून ने चुनाव का रंग ही बदल दिया है। न कोई पोस्टरबाजी , न पर्चे , न बड़े बड़े नेताओं की बड़ी बड़ी होर्डिंग, न चुनाव में दम खम दिखने उतरे उम्मीदवारों की रंग बिरंगी सवारी । ले दे कर गिनी चुनी चुनावी सभा और आम जनता से सीधा संपर्क।
बहरहाल, चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न हो रहा है, कुछ एकाध घटनाओं को छोड़ दिया जाए तो। और यहाँ पर चुनाव आयोग की तारीफ की जानी चाहिए। शायद इसलिए भी कि , इसके अलावा चुनाव आयोग ने ऐसा कोई तीर नहीं मारा है। मौजूदा सरकार की देख रेख में चुनाव आयोग भी सीबीआई और ED की तरह सरकार कठपुतली बन कर रह गया है। चुनाव प्रचार के दौरान जिस तरह से नियम कानून की धज्जी उड़ाई गई है उससे स्पष्ट है कि चुनाव आयोग के रीढ़ की हड्डी भी कमजोर पड़ चुकी है।
व्यवस्था बनाए रखना सरकारी तंत्रों की सबसे पहली जिम्मेदारी है। लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान नेताओं ने खुलेआम जाति और धर्म के नाम पर वोट मांगे हैं। हमारी नई पीढ़ी के रील्स बनाने वाले युवा कहीं ये न पूछ दें कि इसमे गलत क्या है। खैर, ये चुनाव से नहीं बल्कि शिक्षा से जुड़ा प्रश्न है। और आज बात चुनाव की हो रही है। भले ही आज भी विपक्ष बहुत अधिक सुदृढ़ नजर नहीं आ रहा है लेकिन निःसंदेह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के किले में सेंधमारी हो चुकी है। विपक्ष की एकता ने बड़े बड़े संसदीय क्षेत्रों में बीजेपी का समीकरण बिगाड़ दिया है। मोदी के नाम का प्रभाव भले ही कमजोर दिख रहा है लेकिन इतना नहीं कि विपक्ष चैन की साँस ले सके। दक्षिण भारतीय राज्यों में बीजेपी की मुश्किल बढ़ती नजर आ रही है लेकिन उत्तर भारतीय राज्यों में बीजेपी की पकड़ आज भी कमजोर नहीं हुई है।
बीजेपी के लिए सबसे बड़ा खतरा है, विपक्ष के एक होने के बाद वोट प्रतिशत का खेल। 2019 लोक सभा चुनाव में बीजेपी को 303 सीटों पर जीत हासिल हुई थी लेकिन वोट प्रतिशत के मामले में खेल कुछ अलग ही था । चुनाव आयोग के आँकड़े के अनुसार 2019 लोक सभा के चुनाव में बीजेपी को 37.7% वोट प्राप्त हुए थे, वहीं दूसरी सबसे बड़ी पार्टी काँग्रेस को मात्र 19.67%। लेकिन ये आकडे तब दिलचस्प हो जाते हैं जब हम उन वोटों की ओर ध्यान देते हैं जो बीजेपी को नहीं मिला था , लगभग 62 %। 2019 चुनाव में बीजेपी की जीत का एक बड़ा कारण यह भी था कि अन्य राजनैतिक पार्टियां भी एक दूसरे के आमने सामने थे। नतीजतन वोट का बिखराव और सीधा फायदा बीजेपी को।
लेकिन इस बार विपक्ष ने पुरानी गलती से सबक लेते हुए, INDI ALLIANCE के नाम से गठबंधन बना कर आमने सामने की लड़ाई लड़ी है। राहुल गांधी की “भारत जोड़ों” यात्रा भले ही बहुत सफल नहीं मानी गई लेकिन इस यात्रा ने राहुल गाँधी को विपक्ष का सबसे बड़ा नेता बना दिया। राहुल गाँधी के नेतृत्व में सभी मजबूत क्षेत्रीय पार्टियों ने एक होकर चुनाव लड़ा और मुकाबले को NDA और INDIA के बीच की सीधी लड़ाई में परिवर्तित कर दिया है। बीजेपी आज भी इस देश की सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी है लेकिन इसमें कोई शक नहीं है कि आज तक किसी भी राजनैतिक पार्टी ने इतने बड़े गठबंधन से लड़कर चुनाव नहीं जीता है।
अभी भी दो चरण की वोटिंग शेष है, वाराणसी, रायबरेली और अमेठी जैसे रणक्षेत्रों की लड़ाई आने वाले चरणों में बची है। 4 जून को किस गठबंधन को जीत का सेहरा मिलेगा, यह कहना अभी मुश्किल है, लेकिन ये कहना गलत नहीं होगा कि यह नतीजा आने वाले भविष्य की रूपरेखा को तय करने में अहम भूमिका निभाने जा रहा है। हाँ, चुनावी मुद्दे के बारे में कुछ नहीं लिखा गया है, शायद इसलिए कि चुनावी मुद्दों के बारे में तो वैसे भी कोई बात नहीं कर रहा है।